पिछड़े वर्गों की जातिगत जनगणना संभव नहीं, प्रशासनिक रूप से भी कठिन - केंद्र सरकार

Original Content Publisher  bebakmanch.com -  3 yrs ago

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पिछड़े वर्गों की जाति जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन और बोझिल है। साथ ही कहा कि इस तरह की जानकारी को जनगणना के दायरे से बाहर करना एक सचेत नीति निर्णय है। पिछड़ा वर्गों की जनगणना को लेकर केंद्र का रुख इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 10 दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जाति गणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।

आपको बता दें कि केंद्र की ओर से यह हलफनामा महाराष्ट्र की ओर से दाखिल एक याचिका के जवाब में दाखिल किया गया जिसमें कोर्ट से केंद्र व अन्य संबंधित अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि एसईसीसी 2011 का मूल डाटा उपलब्ध कराया जाए जो कई बार मांगने के बाद भी मुहैया नहीं कराया गया है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव की तरफ से दायर हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र ने पिछले साल जनवरी में एक अधिसूचना जारी कर जनगणना 2021 के लिए जुटाई जाने वाली सूचनाओं का ब्यौरा तय किया था और इसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से जुड़े सूचनाओं सहित कई क्षेत्रों को शामिल किया गया, लेकिन इसमें जाति के किसी अन्य श्रेणी का जिक्र नहीं किया गया है।  सरकार ने कहा कि एसईसीसी 2011 सर्वेक्षण ओबीसी सर्वेक्षण नहीं है जैसा कि आरोप लगाया जाता है, बल्कि ये देश में सभी घरों में जातीय स्थिति का पता लगाने की व्यापक प्रक्रिया थी। पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे वेबसाइट पर पढ़ें पे क्लिक करें

"जानकारी के साथ साथ अपने मासिक खर्चे भी निकालें"
    इनस्टॉल करें SPTM Media एप्प
क्लिक हेयर



Original Publisher Source
(As mentades by google play news policy)
Original Publisher Name  :  Admin
Original Publisher Email  :  Admin